Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Mar 2023 · 4 min read

तक्षशिला विश्वविद्यालय के एल्युमिनाई

तक्षशिला विश्वविद्यालय को विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय कहा जाता है । इसकी स्थापना 700 ईसा पूर्व अर्थात आज से लगभग 3000 वर्ष पूर्व हुई थी । वर्तमान में तक्षशिला पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रावलपिंडी जनपद में एक तहसील है । यह रावलपिंडी से उत्तर पश्चिम 35 किलोमीटर दूर अवस्थित है और पाकिस्तान के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में से एक है । कहा जाता है कि तक्षशिला की स्थापना भरत (दशरथ के पुत्र) के पुत्र तक्ष ने की थी । तक्षशिला प्राचीन राज्य गांधार की राजधानी थी । यह नगर प्राचीन राजमार्गों और जल मार्गों से पूरी तरह जुड़ा था और एक बहुत ही उन्नत और समृद्ध नगर के रूप में विख्यात था । तक्षशिला का उल्लेख ऋग्वेद , बाल्मीकि रामायण , महाभारत , त्रिपिटक सहित कई बौद्ध ग्रंथों में मिलता है। जातक कथाओं में भी तक्षशिला का उल्लेख आता है । तक्षशिला के बारे में वर्तमान में अधिकृत जानकारी 1863 ईस्वी में जनरल कनिंघम तथा 1912 ईस्वी में सर जॉन मार्शल द्वारा करवाई गई खुदाई पर आधारित है ।

तक्षशिला विश्वविद्यालय के बारे में कहा जाता है कि यह विश्व का प्रथम सुव्यवस्थित ज्ञान केंद्र था। आधुनिक संदर्भ में इसे विश्वविद्यालय की संज्ञा दी गई है । यह विश्वविद्यालय 700 ईसा पूर्व से 500 ईसवी तक अस्तित्व में था । अर्थात यह विश्वविद्यालय 1200 वर्षों तक शिक्षा का केंद्र रहा। कहा जाता है कि पांचवी सदी में हूणों ने आक्रमण कर इस नगर को तहस-नहस कर दिया । कुछ विद्वानों का मत है कि हूणों ने सिर्फ लूटपाट की थी । विश्वविद्यालय और यहां की संस्कृति और धर्म ग्रंथों को नष्ट करने का कार्य अरब और तुर्की आक्रांताओं ने किया था ।

तक्षशिला विश्वविद्यालय अपने समय का अनूठा ज्ञान केंद्र था । यहां भारत के विभिन्न राज्यों सहित अफगानिस्तान , सीरिया , मिस्र तथा यूनान के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण के लिए आते थे । इस विश्वविद्यालय में 10,000 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे । यहां धर्मशास्त्र , धनुर्विद्या , दर्शनशास्त्र , दंडनीति , ज्योतिष , विधिशास्त्र , वेद , व्याकरण , गणित , तंत्र विद्या , चिकित्सा , चित्र कला , नृत्य कला , संगीत , कृषि ,पशुपालन और वाणिज्य सहित कुल 64 विषयों में विशेष और उच्च शिक्षा प्रदान की जाती थी । यहां प्रवेश लेने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को पहले अपने यहां के स्थानीय गुरुकुल अथवा आचार्य से 8 वर्ष तक की प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करनी होती थी । तत्पश्चात वह इस विश्वविद्यालय में प्रवेश पा सकता था । विश्वविद्यालय में शिक्षा पद्धति आचार्य और शिष्य परंपरा पर आधारित थी । आचार्य वेतन भोगी शिक्षक नहीं होते थे । आचार्य गण स्वविवेक से शिष्यों को प्रवेश देते थे । एक समय में एक आचार्य के अधीन 500 छात्र शिक्षा ग्रहण कर सकते थे ।विश्वविद्यालय में पढ़ाए जाने वाले विषयों का कोई केंद्रीकृत अथवा पूर्व निर्धारित पाठ्यक्रम नहीं था। प्रत्येक विद्यार्थी की क्षमता के अनुरूप उसे ज्ञान दिया जाता था । किसी विषय में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए अध्ययन की अवधि 12 वर्ष थी । तत्पश्चात उसे गुरुद्वारा दीक्षा दी जाती थी । बारह वर्ष की अवधि के पूर्व भी 7 या 8 वर्ष की उच्च शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात विद्यार्थी विश्वविद्यालय छोड़ सकता था । विद्यार्थियों की कोई लिखित परीक्षा नहीं होती थी , न हीं उन्हें कोई लिखित डिग्री प्रदान की जाती थी । अध्ययन अवधि पूर्ण होने के पश्चात व्यावहारिक ज्ञान पर आधारित परीक्षा ली जाती थी । उदाहरण के लिए महात्मा बौद्ध के चिकित्सक जीवक ने अपनी शिक्षा दीक्षा तक्षशिला विश्वविद्यालय से ग्रहण की थी । जीवक , आचार्य आत्रेय के शिष्य थे । अध्ययन पूर्ण होने के पश्चात आचार्य आत्रेय ने अपने सभी शिष्यों से कहा कि वह तक्षशिला में यत्र तत्र सर्वत्र जाएं और कोई ऐसी वनस्पति लाकर मुझे दें जिसमें कोई औषधीय गुण न हो । कई विद्यार्थी अलग-अलग वनस्पतियां लेकर आचार्य आत्रेय के समक्ष प्रस्तुत हुए और बताया कि अमुक वनस्पति में कोई औषधीय गुण नहीं है । एकमात्र जीवक ही ऐसे विद्यार्थी थे जो कोई भी वनस्पति अपने साथ नहीं लाए । आचार्य द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उन्हें कोई वनस्पति ऐसी नहीं मिली जिसमें औषधीय गुण न हों ।आचार्य आत्रेय ने उन्हें परीक्षा में उत्तीर्ण करते हुए प्रथम स्थान दिया ।

तक्षशिला में पढ़ने वाले धनी निर्धन सभी विद्यार्थियों के साथ आचार्यों द्वारा समान व्यवहार किया जाता था । तक्षशिला विश्वविद्यालय में भारत के विभिन्न राज्यों के राजकुमारों द्वारा शिक्षा ग्रहण किए जाने का उल्लेख मिलता है । विश्वविद्यालय को विभिन्न राजाओं द्वारा मुक्त हस्त से अनुदान दिया जाता था । इसी अनुदान से इस विश्वविद्यालय को सुव्यवस्थित ढंग से चलाया जाना संभव हो पाता था । तक्षशिला से विभिन्न विषयों में शिक्षा प्राप्त कर जिन लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रों में ख्याति अर्जित की उनमें – कौटिल्य , सम्राट चंद्रगुप्त, उपमन्यु , आरुणि , अग्निजीत , प्रसेनजीत , जीवक , पाणिनि , कात्यायन , पतंजलि , चरक आदि शामिल हैं।

लेखक – शिवकुमार बिलगरामी

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 2 Comments · 1504 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुझे वो एक शख्स चाहिये ओर उसके अलावा मुझे ओर किसी का होना भी
मुझे वो एक शख्स चाहिये ओर उसके अलावा मुझे ओर किसी का होना भी
yuvraj gautam
मुस्कुराहट से बड़ी कोई भी चेहरे की सौंदर्यता नही।
मुस्कुराहट से बड़ी कोई भी चेहरे की सौंदर्यता नही।
Rj Anand Prajapati
#ज़मीनी_सच
#ज़मीनी_सच
*Author प्रणय प्रभात*
सदा के लिए
सदा के लिए
Saraswati Bajpai
अब तू किसे दोष देती है
अब तू किसे दोष देती है
gurudeenverma198
काँटों के बग़ैर
काँटों के बग़ैर
Vishal babu (vishu)
दुनिया देखी रिश्ते देखे, सब हैं मृगतृष्णा जैसे।
दुनिया देखी रिश्ते देखे, सब हैं मृगतृष्णा जैसे।
आर.एस. 'प्रीतम'
हिन्द की हस्ती को
हिन्द की हस्ती को
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
घूर
घूर
Dr MusafiR BaithA
नेह ( प्रेम, प्रीति, ).
नेह ( प्रेम, प्रीति, ).
Sonam Puneet Dubey
"दरपन"
Dr. Kishan tandon kranti
ଅହଙ୍କାର
ଅହଙ୍କାର
Bidyadhar Mantry
प्रयास
प्रयास
Dr fauzia Naseem shad
आत्मसंवाद
आत्मसंवाद
Shyam Sundar Subramanian
If we’re just getting to know each other…call me…don’t text.
If we’re just getting to know each other…call me…don’t text.
पूर्वार्थ
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
जगदीश शर्मा सहज
जिंदगी भी फूलों की तरह हैं।
जिंदगी भी फूलों की तरह हैं।
Neeraj Agarwal
धुंध इतनी की खुद के
धुंध इतनी की खुद के
Atul "Krishn"
साकार नहीं होता है
साकार नहीं होता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
विजयी
विजयी
Raju Gajbhiye
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
धरा
धरा
Kavita Chouhan
अंगुलिया
अंगुलिया
Sandeep Pande
मजदूर दिवस पर
मजदूर दिवस पर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
प्रथम नमन मात पिता ने, गौरी सुत गजानन काव्य में बैगा पधारजो
प्रथम नमन मात पिता ने, गौरी सुत गजानन काव्य में बैगा पधारजो
Anil chobisa
नया साल
नया साल
विजय कुमार अग्रवाल
सीखो दूध उबालना, बड़े धैर्य का काम (कुंडलिया)
सीखो दूध उबालना, बड़े धैर्य का काम (कुंडलिया)
Ravi Prakash
क्षतिपूर्ति
क्षतिपूर्ति
Shweta Soni
पिताजी का आशीर्वाद है।
पिताजी का आशीर्वाद है।
Kuldeep mishra (KD)
2652.पूर्णिका
2652.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...