दिसम्बर जनवरी का रिश्ता
दिसम्बर जनवरी का रिश्ता
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दिसम्बर माह जा रहा है,
जनवरी माह आ रहा है।
एक को कर रहे है विदाई,
दूजे का स्वागत किया जा रहा है।
दिसम्बर 21 है तो जनवरी 22 है,
जनवरी बहन तो दिसंबर भाई है।
दोनो ही ये जुड़वां भाई बहिन है,
दोनो ने इकतीस तारीख पाई है।।
दिसम्बर यदि यादों का सहारा है,
जनवरी आशाओं का पिटारा है।
दोनो में ही काफी ठंड पड़ती है,।
दोनो में ही रजाई का सहारा है।।
दिसम्बर यादों को है छोड़ चला,
जनवरी में यादों से हो सब भला।
दोनो ही बहुत प्यारे महीने है,
सारे विश्व का इनसे हो भला।।
दिसम्बर पुरानी यादों का है अंत,
जनवरी नई यादों की है शुरुआत।
इनमे केवल अंतर है एक दिन का,
जैसे सुबह के बाद आती है रात।।
दिसम्बर छोड़ के जो भी जाता,
जनवरी उसे अच्छे से अपनाता।
दिसम्बर ने किए जो कभी वादे,
जनवरी उसे बखूबी है निभाता।।
जनवरी से दिसंबर के सफर में,
ग्यारह महीने लम्बे है लग जाते।
लेकिन दिसम्बर से जनवरी तक,
हम एक ही पल में पहुंच जाते।।
दिसम्बर अगर एक याद है,
जनवरी में छिपी एक आस है।
दिसम्बर ने दिया एक तजुर्बा,
जनवरी में भरा एक विश्वास है।।
दिसंबर जनवरी जुड़े है ऐसे,
धागे के दो छोर हो ये जैसे।
पर एक दूजे से दूर रहकर भी
भाई बहन का रिश्ता हो जैसे।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम