दिशा
भटकी हुई दिशा है,
उलझी हुई दशा है ।
राहों में रोशनी हो,तेज वो कहां है,
अंतस् में उर्जा हो,ओज वो कहां है।
निशा को चिराग का सहारा चाहिए,
हमें भी सही दिशा- धारा चाहिए ।
।। रुचि दूबे।।
भटकी हुई दिशा है,
उलझी हुई दशा है ।
राहों में रोशनी हो,तेज वो कहां है,
अंतस् में उर्जा हो,ओज वो कहां है।
निशा को चिराग का सहारा चाहिए,
हमें भी सही दिशा- धारा चाहिए ।
।। रुचि दूबे।।