दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा
मुक्तक
दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा , तेरे रूप में हर अलंकार है
बज उठता ह्रदय का तार-तार,तेरे प्रेम की ये झंकार है
हे प्राणवंत तुम प्रिय अनंत , जीवन का मेरे तुम्हीं बसंत
नित श्रृंगार कर,करूँ मनोहार तेरा,क्या प्रीत मेरी स्वीकार है
नीलम शर्मा✍️