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20 Feb 2024 · 1 min read

दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा

मुक्तक
दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा , तेरे रूप में हर अलंकार है
बज उठता ह्रदय का तार-तार,तेरे प्रेम की ये झंकार है
हे प्राणवंत तुम प्रिय अनंत , जीवन का मेरे तुम्हीं बसंत
नित श्रृंगार कर,करूँ मनोहार तेरा,क्या प्रीत मेरी स्वीकार है

नीलम शर्मा✍️

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