दिवाली में
फुलझड़ियों के पैसे तुम भी ,
कर दो दान दिवाली में ।।
ख़ुद के हाथों बिक ना जाए ,
स्वाभिमान दिवाली में ।।
बच्चों के इस भूखे तन को ,
किस मज़हब का चादर दूँ।।
सड़क किनारे सिसक रहे थे ,
कूड़ेदान दिवाली में ।।
मिष्ठानों का वितरण कर तुम ,
पा गए मान दिवाली में ।।
भूखे कंधे आकर मिलते ,
हैं शमशान दिवाली में ।।
छप्पन इंची वाले सिने ,
पर कैसे अभिमान करूँ ।।
बिलख रहे थे देख के हालत ,
कूड़ेदान दिवाली में ।।
✍?धीरेन्द्र पांचाल