दिवस संवार दूँ
आओ मैं तुमको वल्लभा,
कुछ शब्दों का उपहार दूँ,
पंक्तिबद्ध अर्थों से मैं,
खुद को तुम पे बलिहार दूँ…
प्रेम से पूरित रहो सदा,
यूँ ही हो सौंदर्य सधा,
सुख की सारी क्षणिकाओं को,
तुम तक मैं विस्तार दूँ…
माधुर्य सुधा बरसे तुम पर,
नित लावण्य रहे तुम पर,
ऊर्जित रश्मि की किरणों से,
प्रिये हर दिवस संवार दूँ….
© विवेक’वारिद’*