दिल..
तड़पता भी है दिल
तो कभी बहकता भी है दिल
तुझ को क्यों
खुदा समझता है ये दिल
महक महक उठती हैं साँसे
धड़क उठता है दिल
समेटना चाहे तुझे अपनी बाहों में
क्या अजीब पागल सा है दिल!!!!
हिमांशु Kulshrestha
तड़पता भी है दिल
तो कभी बहकता भी है दिल
तुझ को क्यों
खुदा समझता है ये दिल
महक महक उठती हैं साँसे
धड़क उठता है दिल
समेटना चाहे तुझे अपनी बाहों में
क्या अजीब पागल सा है दिल!!!!
हिमांशु Kulshrestha