Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Aug 2023 · 1 min read

परवरिश

हम भी आधुनिक
समाज में
जो बड़ा घर
कहलाता है
उसके बच्चे थे
पर हमारा घर
दूसरों से
कुछ अलग था
दिन भर
हमारे पीछे भागती
काम वाली
बाई की जगह ‘आई’
बड़े बड़े अभिभाषणों का
हिस्सा बनते पर
बिस्तर पर चौकड़ी मार
माँ के हाथ का बना
खाना खाते बाबा
हम दोनों और
माँ बाबा
बिस्तर पर ही
कैरम की बाज़ी
लगाते
साँझ में सोसाइटी के
बच्चों संग
खेलने जाते
हमें ना कोई
अहम दिया गया
ना ही वहम
बड़े हुए तो समझे
कि बाबा का तो
बहुत रुतबा है
और आई का
बहुत मान
पर तब तक हम
बन चुके थे
आम औ अच्छे इंसान

डॉ निशा वाधवा

72 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक ही धरोहर के रूप - संविधान
एक ही धरोहर के रूप - संविधान
Desert fellow Rakesh
My Expressions
My Expressions
Shyam Sundar Subramanian
यादों के अथाह में विष है , तो अमृत भी है छुपी हुई
यादों के अथाह में विष है , तो अमृत भी है छुपी हुई
Atul "Krishn"
मैं घमंडी नहीं हूँ ना कभी घमंड किया हमने
मैं घमंडी नहीं हूँ ना कभी घमंड किया हमने
Dr. Man Mohan Krishna
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"जंगल की सैर”
पंकज कुमार कर्ण
माँ
माँ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
"मुस्कान"
Dr. Kishan tandon kranti
तू है लबड़ा / MUSAFIR BAITHA
तू है लबड़ा / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
When winter hugs
When winter hugs
Bidyadhar Mantry
श्री राम अमृतधुन भजन
श्री राम अमृतधुन भजन
Khaimsingh Saini
महान् बनना सरल है
महान् बनना सरल है
प्रेमदास वसु सुरेखा
शिव हैं शोभायमान
शिव हैं शोभायमान
surenderpal vaidya
चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
बुरा ख्वाबों में भी जिसके लिए सोचा नहीं हमने
बुरा ख्वाबों में भी जिसके लिए सोचा नहीं हमने
Shweta Soni
पलक-पाँवड़े
पलक-पाँवड़े
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ढलता सूरज गहराती लालिमा देती यही संदेश
ढलता सूरज गहराती लालिमा देती यही संदेश
Neerja Sharma
समय आयेगा
समय आयेगा
नूरफातिमा खातून नूरी
होकर उल्लू पर सवार
होकर उल्लू पर सवार
Pratibha Pandey
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
पूर्वार्थ
बढ़ती हुई समझ
बढ़ती हुई समझ
शेखर सिंह
गुलमोहर
गुलमोहर
डॉ.स्नेहलता
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
इंजी. संजय श्रीवास्तव
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
सत्य कुमार प्रेमी
23/62.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/62.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी फितरत ही बुरी है
मेरी फितरत ही बुरी है
VINOD CHAUHAN
सीख गांव की
सीख गांव की
Mangilal 713
पुस्तक समीक्षा-सपनों का शहर
पुस्तक समीक्षा-सपनों का शहर
गुमनाम 'बाबा'
नाचणिया स नाच रया, नचावै नटवर नाथ ।
नाचणिया स नाच रया, नचावै नटवर नाथ ।
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Loading...