दिल ज़ाफ़रान
जो बात हमने खुद से छुपा रखी थी
वही बात हमारी कलम को रुला रही थी ॥
चुप रहने के लिए हमने रिश्वत दी किताबों को
मगर कमबख्त कागज़ गवाही देता गया ॥
लिखना चाहा दर्द ए गम काली स्याही से
कलम से उतरकर शब्द लाल रंग में तब्दील हो गए ॥
रोग ए मोहब्बत का इलाज कलम और दवात
लिखावट कोरे कागज़ पर होती है ॥
आसमान रात भर रोता रहा हमारे साथ
शायद वह भी किसी के साथ जीना चाहता था ॥
उन सूनी सूनी सड़कों की आहट मुझसे कहती है
वो पास नहीं मेरे फिर भी दिल में अक्सर रहती है ॥
जब जब सांस आती है तुम्हारी याद लाती है
क्या करें किसी ने हमारी लंबी उमर की दुआ मांगी है ॥