दिल ही दिल में कुछ कह गया था मै
“उसे”देखते ही गुमसुम रह गया था मै
दिल ही दिल में कुछ कह गया था मै
रब ने उसे फुरसत से बनाया होगा
ना जाने सांचा कहां से लाया होगा
मेरे दिल में अंदर ही अंदर भा गई थी वो
ना जाने कहां से चुपचाप अा गई थी वो
वो मुझसे बोलीं मै कुछ कह न सका
पर विना कुछ कहे दिल रह न सका
कृष्णकांत गुर्जर