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28 Jun 2022 · 1 min read

दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई

मुझ पर सनम नज़र तेरी जादू सा कर गई।
दिल से तेरी निगाह ज़िगर तक उतर गई।।

तुमको पुकारता रहा ये बेक़रार दिल।
यादों में शाम,रात,सहर,दोपहर गयी।।

जिस दिन से तुमने गौर से देखा मुझे सनम।
फिर आइने से पूछ जरा सी सँवर गयी।।

दुनिया में दर व दर मैं भटकती रही मगर।
खुशियाँ मिलीं जो लौट के अपने ही घर गयी।।

मैंने भी तोते और कबूतर उड़ा दिए।
कितने लिखे थे खत नहीं उस तक खबर गयी।।

उम्मीदें सबकी पीठ पे बस्ते में लादकर।
काँधे पे बोझ लेके ही पढ़ने शहर गयी।।

दहशत है ज्योति आज दरिंदो की इस कदर।
बेटी का जन्म सुनते ही माँ मेरी डर गयी।।

✍🏻श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 161 Views

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