दिल लगाया ना होता
दिल ने धोखा खाया ना होता
नदां दिल तुझसे लगाया ना होता
अगर समझता तेरी चालाकियों को
तेरे पास दिल कभी आया ना होता
बदलते मौसम की तरह बदल गए हो
यूँ खेल में मेरा समय ज़ाया ना होता
तेरी नादानियाँ तो क़ुबूल थी मुझे
अगर तूने सबक सीखाया ना होता
तेरे चर्चे तो हर गली में मशहूर थे
अश्कों पर विश्वास जताया ना होता
तेरी क़ातिल अदा का अंजाम मेरा क़त्ल था
इन क़ातिल आदाओं को कभी चाहा ना होता
मीठी मीठी बातों में ज़हर घोल पिला दिया
ज़हर का जाम लबों से यूँ लगाया ना होता
भटक गया चंद राहों की ज़ुस्तज़ू में
अगर तेरी गलियों में आया ना होता
शिवालों में सज़दा करना ही याद किसे
अगर तेरे सज़दे में समय ज़ाया ना होता
फ़लक से दोस्ती कर ज़मी पर आ गिरे
अगर ज़मी से रिश्ता ठुकराया ना होता
भूपेंद्र रावत
16।08।2017