दिल लगाकर उससे, हम कौन हैं, ये हमीं भूल गए,
दिल लगाकर उससे, हम कौन हैं, ये हमीं भूल गए,
उसकी हंसी की ख़ातिर हम अपनी खुशी भूल गए।
दुनिया बना ली थी हमने उसे अपनी, भ्रम जो टूटा,
तो हम आएं किधर से थे, अपनी वो गली भूल गए।
अब उसकी यादें हमारा कलेजा बेइंतहा जलाती है,
दर्द से हम यूं बेजार हुए कि अपनी हंसी भूल गए।
उसके चले जाने से यहां हमारी जान पर बन आई है,
इक वो हैं जो हमारी मोहब्बत, हमारी कमी भूल गए।
नया आशियाना बना लिया है हमें भूलाकर उसने,
हम ढूंढ रहे हैं दरबदर, अपनी जो ज़मीं भूल गए।
-©®Shikha