दिल में बसा लेते
हम तुम्हे दिल में ही बसा लेते
अगर तुम रमणीय ख्याल होते
हम कभी पीते मय को नहीं हैं
नशीले नयनों में नशियाये होते
तुम्हें आँखों से गुट गुट पी जाते
अगर तुम बोतल में शराब होते
तुम्हें तोड़ के दिल में सजा लेते
अगर तुम सुमनों में गुलाब होते
हम दिन में भी सो जाया करते
अगर तुम निशा का ख्वाब होते
हम बन जाते रमण जवाब तेरा
अगर तुम जीने का सवाल होते
नजर से नजर अगर टकरा जाती
अब तक तो जान से ही गए होते
हम कातिल नजरों में समा जाते
अगर तेरी नजर से टकराये होते
तुम जो सावन मास झडी़ होती
हम तेरे प्रेमरस में भीग गए होते
तुम मेरे दिल पर गिर गए होते
गर जो बिजली आसमानी होते
हम तुम्हें करबद्ध हो माँग लेते
अगर तुम खुदा का प्रसाद होते
हम तुम्हें छाती से ही लगा लेते
गर तुम दिल की किताब होते
हम तुम्हें दिल में ही बसा लेते
अगर तुम रमणीय ख्याल होते
सुखविंद्र सिंह मनसीरत