दिल में एक डर सा हैं
दिल में एक डर सा है
जो मेरा है
वो भी खो जाएगा
सब सही मगर
कुछ हो जाएगा
जिंदगी ने इतने धक्के दिए हैं
की हर लम्हे में उसकी आहट महसूस होती है
सब ठीक लगता है मगर फिर भी जिंदगी रोती है
हर खुशी में भी एक डर महसूस होता है कि ये खो जाएगी
जो नहीं होनी थी बात वही बात हो जाएगी
खुशियों के साथ उसका खो जाने का डर भी आता है
परायों से शिकायत क्या ही करूं दिल तो अपने से घबराता है
कब किस क्षण किस घड़ी में क्या हो जाए
मेरी मुस्कान हट कर कब ना जाने आंसू निकल आए
मेने खोया वो सब जिसकी चाहत थी मुझे
मुझे छोड़ा है उसके होने से राहत थी मुझे
अब जिंदगी, जिंदगी नहीं एक बोझ लगती है
मेरी मुस्कुराहते मेरे दर्द को ढकती है
मिलना तो होता है उनसे पर वो बात नहीं
वो होते हैं साथ मगर फिर भी मेरे साथ नहीं।