दिल फिर तुम से न बहलाया जाएगा
था पता मुझको कि तू समय से न आयेगा
वो रात जाना तुम्हें क्या खूब रुलाएगा
जिस रात कुण्डी न तेरी कोई खड़काएगा
दिल का क्या है जाना ये तो धडकनों के साथ
न तुम्हें कभी भी भूला पाएगा
वो रात कयामत वाली होगी जिस रात
जिस्म धडकनों का साथ छोड़ जाएगा
रूह भटकेंगी तेरे चौबारे में…पर
आवाज लगाया न हम से जाएगा
सूनी रातें काटेंगी तुम को जाना
दिल फिर तुम से न बहलाया जाएगा
~ सिद्धार्थ