दिल पर दस्तक
दिल पर दस्तक देता है कौन?
पूछूं तो क्यों रहता है ये मौन?
बार बार पूछूं,कुछ तो तुम बोलो
कौन बसा है मन ,ज़रा भेद खोल।
न ये बोले ,और न कुछ समझाए
देखूं आईना ,तो बस शरमाये।
धड़कन में कौन अब तेरी बस रहा।
नैनों में तेरे मेहमां सा हंस रहा ।
बहुत समझाया , लेकिन ये न माना
इश्क़ आग का दरिया है जानां ।
हाथों से खुद का दामन ही छूटा जाये
कौन बसा दिल में? कोई तो बतलाए।
सुरिंदर कौर