दिल दुखाना न बेटे कभी बाप का
ग़जल
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उम्र सारी गई ———ये जताते हुए
मैं तुम्हारा हूँ —-कब से बताते हुए
??
सारे ग़म को —– धुंएं में उड़ाते हुए
जिंदगी जी लिए मुस्कराते हुए
??
बढ़ गई धड़कनें मेरी तो उस घड़ी
पास वो आए जब कसमसाते हुए
??
प्यार ही बांटता —— हूं मेरे दोस्तों
दर्द अपना —–सभी से छुपाते हुए
??
आ गया याद हमको वो दिलबर मेरा
देखा बुलबुल को जब चहचहाते हुए
??
दौर ये प्यार ——का यूं ही कायम रहे
बीत जाए ——- घड़ी हंसते गाते हुए
??
हाथ दिल से गया उसको देखा था जब
जुल्फ़ को अपने —- रुख़ से हटाते हुए
??
इस तरह मुफलिसी —ने है ढाया कहर
ढूंढूं –मैं रौशनी——- दिल जलाते हुए
??
दिल दुखाना न —-बेटा कभी बाप का
बीत जाए न ——–कर्ज ये चुकाते हुए
??
दर्द का बोझ ——-ढोकर थकी जिंदगी
जान जाएगी ———इनको गिनाते हुए
??
दूर हमको न ——-कर- खुद से बेटे मेरे
कह रहे बाप ——– मां गिड़गिड़ाते हुए
??
जिसने पाला तुम्हें जान लख़्ते-जिग़र
लाज आती नही——– जुल्म ढाते हुए
??
बस रहा है —–कन्हैया कणों में अभी
संग राधा के ——— मुरली बजाते हुए
??
साथ यूं ही ———–निभाना मेरे दोस्तों
कह रहा आज —-“प्रीतम” ये जाते हुए
??
प्रीतम राठौर भिनगई
श्रावस्ती (उ०प्र०)