दिल तड़प कर रो रहा है।
दिल तड़प कर रो रहा है।
अब कोई अरमां ना हो रहा है।।1।।
परिन्दें सारे यहाँ से उड़ गए है।
यादों में बस बागों के निशां रह गए है।।2।।
सारी दुनिया पर वैसे तो हुकूमत चल रही है।
पर कभी कभी तुम्हारी कमी भी खल रही है।।3।।
तितली बनकर तू ज़िन्दगी में आ जा।
दर्द सीने के सारे लेकर उड़ा जा।।4।।
जिस्मों से इश्क़ब्ज़ियाँ हो रही है।
मोहब्बत अपनी निशानियां खो रही है।।5।।
सबको ही लगी शराब की तिश्नगी है।
पर देगा कौन जब दुकान बन्द पड़ी है।।6।।
काला बाजारियाँ ना रुक रहीं है।
गरीब की ज़िंदगियाँ बुझ रहीं है।।7।।
आकर अब रास्ता दिखायेगा कौन।
हर किसी में बस गया है फिरऔन।।8।।
ज़िन्दगी में देखो नवाज़िश सी हो रही है।
दिल पर मेरे इश्क की बारिश सी हो रही है।।9।।
गरीब की आह है दूर तक जाएगी।
बचना इससे ज़िन्दगी आफत बन जाएगी।।10।।
आज माँ की याद आ रही है।
मुद्दतों बाद खुशियाँ छा रही है।।11।।
चलो उठो अब दीदार कर लो उनका।
ज़िन्दगी भर जिनके लिए तड़पे हो इतना।।12।।
तुम्हारे दिखावे के है ये सदके।
झूठें है तुम्हारे सारे खुदा के सज़दे।।13।।
परेशां ना हो तुम्हारी उधारी चुका के जायेंगें।
गर आ गयी मौत पहले तो उससे भी लड़ जायेंगे।।14।।
सीखा है हमने हंसने का यह हुनर दिक्कतों से।
जो मिलता नहीं कहीं ज़िन्दगी की लज़्ज़तों से।।15।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ