दिल तो पत्थर सा है मेरी जां का
1) मैं नहीं सबका है यही कहना
इश्क़ सच्चा कभी नहीं मरता
2)ऐ हवा कुछ बता पता उसका
वो कहीं तो तुझे मिला होगा
3)जोड़ता है दिलों के बंधन जो
सूत का धागा कितना है पुख़्ता
4)धूल सी जम चुकी है नफ़रत की
आईना साफ़ अब कहाॅं होगा
5)बीत जाएगी उम्र रो रो कर
बेवफ़ाई का ग़म सताएगा
6) सिर्फ़ आगे ही बढ़ते जाना है
वापसी का यहां नहीं रस्ता
7) मंतशा अब सदा भी कैसे दूॅं
दिल तो पत्थर सा है मेरी जां का
🌹मोनिका मंतशा 🌹