दिल तुझ पर हम अपना हार बैठे
दिल तुझ पे हम अपना हार बैठे।
सागर में कसती….. उतार बैठे।
हसरतों को दी जब उड़ान हम ने।
सारी हदें हम अपनी भुला बैठे।
मिलता है प्यार नसीबों से अपने।
हम नसीब अपना आजमा बैठे।
फितरत में नही है वेवफाई हमारे।
हम अपना दिल ओ जान लूटा बैठे।।
सुना था किताबो में कि,होता है
खुदा मंदिर और मस्जिद में यारो।
मिला नही जो रब हमे कहि भी
हम उन को अपना मसीहा बना बैठे।
दिल उन से हम अपना लगा बैठे।।
✍?#संध्या चतुर्वेदी ?
#मथुरा उप