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1 Jun 2018 · 1 min read

“दिल ढूंढ रहा है “

“अलमस्त हवा के झोंकों में लहराती फसलों को,
फूलों पर मंडराते आवारा भौंरों को,
सतरंगी तितली जो बेपरवाह उड़े,
तालों में कलियों के साथ खिले पंकज को,
दिल ढूंढ रहा है फिर,अपने उस भारत को,
अमावस की रातों को काली ओढ़नी लहराते,
पूरनमासी के चंदा को मनमोहक छटा बिखराते,
मरुस्थल में उभरे सुंदर रेतों के टीलों को,
मस्ती में डूबे खानाबदोश कबीलों को,
काली घटाओ को,बर्फीले पहाड़ों को,
फूलों के बागों को,रिश्तों के धागों को,
उत्सव में झूमते युवा -युगल भीलो को
कल -कल बहती नदियाँ,निर्मल झीलों को,
दिल ढूंढ रहा है फिर अपने उस भारत को,
होली की मस्ती,रोशन रात दीवाली की,
आँगन से उठती बच्चों के किलकारी की,
याद बहुत आती है नानी की लोरी,
पनघट पे जल भरती कोमल सी गोरी,
सरगम की मीठी धुन राग मलल्हारी के,
बीते लम्हे जो बाहर चारदीवारी के,
मिट्टी की सौंधी खुशबू,खेतों की किनारी को,
रंग बदलती पगड़ी, उमड़ते बादल को,
दिल ढूंढ रहा है फिर अपने भारत को “

Language: Hindi
369 Views
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