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10 Oct 2021 · 1 min read

दिल चाहता है

कभी जिस मोड़ पर हम छोड़ आए थे यह जीवन
आज फिर उसी मोड़ से जीने को दिल चाहता है।

जहाँ बिखरे पड़े हैं अपनी यादों के कुछ लम्हें
आज फिर उन्हीं लम्हों को पाने को दिल चाहता है।

कि बरसों पहले हम लुटे थे किसी के नूर पर
आज फिर किसी पर लूटने को दिल चाहता है।

दीवाने बनकर फिरते थे हम किसी के प्रेम में
आज फिर उसी प्रेम को पाने को दिल चाहता है।

कभी हम रूठ कर मान जाते थे किसी के वास्ते
आज फिर किसी से मानने को दिल चाहता है।

हम उन्हें जिताने को हार जाते जान-बूझकर
आज फिर किसी से हारने को दिल चाहता है।

कभी रहते थे किसी के सपनों में रात दिन हम
आज फिर उन्हीं आँखों में बसने को दिल चाहता है।

-विष्णु प्रसाद ‘पांँचोटिया’

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