दिल गरीब नही…जेब फटी हुई है
दिल गरीब नही था…
बस जेब थोड़ी सी फटी हुई थी
उसकी नजर दिल पे कहां थी… ?
वो तो बाईं जेब पे मेरी अटकी हुई थी…
पेंडुलम की सूई सी लटकी हुई थी…
वो बिक रहे थे इश्क के बाजार सरेशाम
हमारी हैसियत ही…
खरीददार से थोड़ी खिसकी हुई थी
अब दिल लेके बैठें हैं पुर्दिल
कोई आये और दिल की नीलामी कर ले
रख ले दिल इश्क का मुआबजा समझ कर
या ठुकरादे इश्क का सवाली कह कर
दिल गरीब नही…जेब फटी हुई है
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