Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2022 · 1 min read

दिल को मेरे छोड़ कर,मांगो कुछ भी यार

दिल को मेरे छोड़ कर,मांगो कुछ भी यार ।
दे दूं टूटी चीज का,……..कैसे मैं उपहार ।।
रमेश शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 187 Views

You may also like these posts

विकृत संस्कार पनपती बीज
विकृत संस्कार पनपती बीज
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*पलटूराम*
*पलटूराम*
Dushyant Kumar
दुनिया में कहे खातिर बहुते इयार
दुनिया में कहे खातिर बहुते इयार
आकाश महेशपुरी
कब जुड़ता है टूट कर,
कब जुड़ता है टूट कर,
sushil sarna
क्रोध घृणा क्या है और इसे कैसे रूपांतरण करें। ~ रविकेश झा
क्रोध घृणा क्या है और इसे कैसे रूपांतरण करें। ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
बैठी हूँ इंतजार में, आँधियों की राह में,
बैठी हूँ इंतजार में, आँधियों की राह में,
Kanchan Alok Malu
"उसूल"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
कवि रमेशराज
आवाज़
आवाज़
Dipak Kumar "Girja"
छवि के जन्मदिन पर कविता
छवि के जन्मदिन पर कविता
पूर्वार्थ
खुद की नजर में तो सब हीरो रहते हैं
खुद की नजर में तो सब हीरो रहते हैं
Ranjeet kumar patre
मेरी तृष्णा
मेरी तृष्णा
Seema Verma
4374.*पूर्णिका*
4374.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पाठ कविता रुबाई kaweeshwar
पाठ कविता रुबाई kaweeshwar
jayanth kaweeshwar
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
Seema Garg
प्रदूषण-जमघट।
प्रदूषण-जमघट।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
रुसवा हुए हम सदा उसकी गलियों में,
रुसवा हुए हम सदा उसकी गलियों में,
Vaishaligoel
देश की वसुंधरा पुकारती
देश की वसुंधरा पुकारती
कार्तिक नितिन शर्मा
हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
"रचना मुर्गी के अंडे की तरह सेने से तैयार नहीं होती। यह अंतर
*प्रणय*
*विभाजित जगत-जन! यह सत्य है।*
*विभाजित जगत-जन! यह सत्य है।*
संजय कुमार संजू
जिनके घर नहीं हैं
जिनके घर नहीं हैं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अदब अपना हम न छोड़ें
अदब अपना हम न छोड़ें
gurudeenverma198
ग़ज़ल _ नहीं भूल पाए , ख़तरनाक मंज़र।
ग़ज़ल _ नहीं भूल पाए , ख़तरनाक मंज़र।
Neelofar Khan
*श्रीराम और चंडी माँ की कथा*
*श्रीराम और चंडी माँ की कथा*
Kr. Praval Pratap Singh Rana
*रिश्तों मे गहरी उलझन है*
*रिश्तों मे गहरी उलझन है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ये तो दुनिया है यहाँ लोग बदल जाते है
ये तो दुनिया है यहाँ लोग बदल जाते है
shabina. Naaz
तर्क-ए-उल्फ़त
तर्क-ए-उल्फ़त
Neelam Sharma
जब छा जाए गर तूफ़ान
जब छा जाए गर तूफ़ान
Meera Thakur
Loading...