दिल के रिश्ते
दिल रिश्ते—-
चाहत की ऊंचाई को बाजार नहीं बनने देते।
दिल सांसों धड़कन की गहराई में ही रहने देते !!
नादा हैं वो जो दुनिआ को नादान समझते रहते है।
शायद उनको नहीं मालूम नहीं लम्हा लम्हा दुनिआ के रंग बदलते है !!
लम्हा लम्हा रंग बदलती दुनिआ में नीयत ईमान बदलते रहते है !!
दिलोँ का रिश्ता ही नहीं, रिश्तों के अब व्यापार ही होते रहते हैं ।।
रिश्तों के बाज़ार हैं अब रिश्तों के बाज़ारो में रिश्तों के बाज़ार में रिश्ते ही सजते रहते हैं !!
चाहत की ऊंचाई को बाजार नहीं बनने देते।
दिल सांसों धड़कन की गहराई में ही रहने देते !!
रिश्तों की कीमत मौका,और मतलब रिश्तों के बाज़ारों की दुनिआ में अक्कसर रिश्ते,शर्मशार नीलाम ही होते रहते हैं !।
दुनिआ की भीड़ में भी इंन्सा तंन्हा खुद में खोया खोया खुद को खोजता।।
दुनिआ की भीड़ अक्सर नफ़रत के जंगो के मैदान बनते रहते है !!
मतलब नफ़रत कि जंगो में इंन्सा एक दूजे का कातिल लहू की स्याही से इबारत की तारीख बनाते रहते हैं !!
कभी परछाई भी ऊंचाई दुनिआ छू लेने को पागलपन ।
कभी ऊंचाई की तनहाई छलकते आंसू जज्बे के पैमाने से छलकते रहते हा।।
तंन्हा इंन्सा की तन्हाई परछाई ऊंचाई की तन्हाई के आंसु ,ख्वाबों ,अरमानो के मिलने और बिछड़ने का खुद हाल बयां ही करते हा !!
चाहत की ऊंचाई को बाजार नहीं बनने देते
दिल सांसों धड़कन की गहराई में ही रहने देते !!
नन्द लालमणि त्रिपाठी गोरखपुर उत्तर प्रदेश (पीताम्बर )