दिल के मौसम
दिल के मौसम भी जब बदलते हैं
उसके बाहर असर भी दिखते हैं
जख्म दिल के हरे भरे होते
मेघ यादों के जब बरसते हैं
खिल के आता बसंत जब दिल मे
खिलखिलाहट के फूल उगते हैं
दर्द जब जमते गम की सर्दी में
दिल सँभाले नहीं सँभलते हैं
आँच जब प्यार की मिले दिल को
दर्द आंखों से ही पिघलते हैं
दिल हो वीरान जाता पतझड़ सा
टूट कर सपने जब बिखरते हैं
06-09-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद