दिल के मेहमान… .
दिल में रह कर दिल के मेहमान बन गये
नजरों में मुहब्बत भरके सरेआम कर गये!
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रखता है दिल ख्याल इस कदर तुम्हारा
लफ्जों में मधुरता,सम्बन्धों की सरलता
जाते-जाते पर आवाम घर कर गये!
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खुशी मिलती तुम्हारे पैरों की आहट से
मन गद्गगद हो उठता तुम्हारे एहसास से
लगता है अब तुम मेरे नहीं,दिल के मेहमान बन गये!
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गलिया, समन्दर सब वीरान से लगते
तुम्हारी अनोखी मुस्कान के बिना
मिलती है जब आहट तुम्हारी
सब खिल उठते हैं खुले आसमान की तरह!
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तुम्हारी मौजूदगी भी तो मेहमान की तरह
कब आये कब गये खूबसूरत इंसान की तरह
शेष रह जाती है यादें बस केवल
चलते हुए अरमान की तरह!
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शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)