दिल की बाते
कैसे हँसू तुम्हारे बिन और कैसे रोकूं मैं आँसू।
कैसे कटते दिन मेरे और कैसे कटती हैं रातें।।
कैसे दिल को समझाऊं और कैसे मन को मैं बहलाऊं।
कैसे दर्द बताऊं तुझको और कैसे तुझको मैं समझाऊं।।
कैसे-कैसे घुटते हम-तुम और कैसे-कैसे दर्द बटे।
कैसे-कैसे हँसते हम-तुम और कैसे-कैसे राज कहे।।
कैसे कही हैं दिल की बातें और कैसे कहे हैं दर्द सभी।
कैसे तुम पर प्यार जाताऊ और कैसे मैं अधिकार जाताऊ।।
तुम तो मुझको समझी ना हो और तुमने दिल से दूर किया।
तुम तो मेरी बनती ना हो और तुमने मुझको दूर किया।।
मैं तो चाहूं बस इतनी ममता कि आँचल तेरा बना रहे।
दुख सुख चाहे कितना भी हो, विश्वास सदा ये बना रहे।।
ललकार भारद्वाज