दिल की खता
मैं पशेमान हूं मैंने तुमसे दिल क्यों लगाया ,
तुम्हारी तो कोई खता नहीं मेरा मन भरमाया ,
तुम्हें चाहने की सजा तो मिल ही रही है दीवाने को ,
जो एक पत्थर से चकनाचूर बेचारा हो आया ।
मैं पशेमान हूं मैंने तुमसे दिल क्यों लगाया ,
तुम्हारी तो कोई खता नहीं मेरा मन भरमाया ,
तुम्हें चाहने की सजा तो मिल ही रही है दीवाने को ,
जो एक पत्थर से चकनाचूर बेचारा हो आया ।