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11 Jun 2023 · 1 min read

दिल की किताब

दिल की किताब
मत खोलो
जगह जगह से गल चुकी है
हाथ लगाते ही
टुकड़ा टुकड़ा फट जायेगी
जो कुछ इसपर लिखा है
उसे अंदर ही अंदर
गलने दो
लुगदी बन सड़ने दो
खुद की कहानी
खुद में ही
दिल के किसी
सहमे से कोने में कहीं
खत्म होकर दफन होने दो
अंधेरी गली से
थोड़ी सी दरार मिलने पर भी गर
बाहर निकली तो
एक लपलपाती आग की लपटों की चिंगारी बन
कई बस्तियों को राख कर जायेगी।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
298 Views
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