” दिल की आवाज़ “
मैं विरह गीत गाता रहा उम्र भर,
आंसुओं को छिपाता रहा उम्र भर।।
तुम पे इल्जाम आये कभी ना सनम,
दर्द सहकर भी यूँ मुस्कुराता रहा।।
मैंने दु:ख को चुना सिर्फ तेरे लिये,
इक खुशी के लिए ही तरसता रहा।।
वेदना अपने मन की हम सहे रात दिन,
चाह में अब तेरी राहें यूँ भटकता रहा।।
तुम मिलो तो सही बस हमे प्यार से,
इश्क़ हो या खुदा फिर शिकायत नहीं।।
यार दीदार हो अब तो हसरत यही,
क्या करें दिल हमारा भी लगता नहीं।।
बिन तेरे ज़िंदगी में रवानी नहीं,
सच है ये गीत कविता कहानी नहीं।।
रात दिन हो या मौसम कोई धीर तो,
राग स्वर बिन तेरे गुनगुनाता नहीं।।
धीरेन्द्र वर्मा “धीर”
मोहम्मदी- खीरी, उत्तर प्रदेश