दिल का एहसास यह बरसात
धरती और आकाश के मिलने का आगाज है यह बरसात
यह सूखी धरती पेड़ पौधे बाहें फैलाए कर रहे जिसका इंतजार
कड़कती हुई बिजली ,गरजते हुए बादल
इन हवाओं का चलना संग बारिश का बरसना
जैसे हो रहा हो किसी के टूटे दिल का एहसास
यह बरसती बरसात जैसे कुछ कह रही है आज
के दिल के एहसास को छुपाऊं कैसे
जो यह बरसात है वह अंदर भी बाहर भी
इस दर्द की एहसास में जैसे वह खुद कोभिगो देती है
तो उस बरसात नेभी दे दिया उस टूटे दिल का भी साथ
जो संग रोने लगा उसके हुआ उसके दर्द का एहसास
उसकीआंखों केआंसू के संग बरसती रही वह बरसात
उस बरसात का साथ उसका सुकून बन गया
बरसात उस दिल का अहसास बन गया
यह बरसात धरती और आकाश के मिलने का आगाज बन गया!
** नीतू गुप्ता