52 बुद्धों का दिल
कृष्ण की तरह हो ग्वाला , गीता गाने को दिल करता है।
शिव की तरह हो ध्यानी-प्रेमी , समाधी पा जाने को दिल करता है।।
नारद की तरह हो महर्षि , नारायण कहे जाने को दिल करता है।
शंकराचार्य की तरह हो मायावी , गोविन्दम् भजे जाने को दिल करता है।।
गोरख की तरह हो ध्यानी , अलख जगाने को दिल करता है।
अष्टावक्र की तरह हो ज्ञानी , ज्ञान लुटाने को दिल करता है।।
पतंजलि की तरह हो योगी , अष्टांग-मयी हो जाने को दिल करता है।
मंसूर की तरह हो निश्चयी , सिर कटा जाने को दिल करता है।।
बुद्ध की तरह हो संकल्पी , बौद्धत्व पा जाने को दिल करता है।
महावीर की तरह हो नग्न , तीर्थंकर बन जाने को दिल करता है।।
राम-कृष्ण की तरह हो परमहंस , काली में खो जाने को दिल करता है।
शांडिल्य की तरह हो भगत , तथाता हो जाने को दिल करता है।।
कबीर की तरह हो बफिकरे , सब कुछ लुटाने को दिल करता है।
नानक की तरह हो मतवाला , गीत गाने को दिल करता है।।
रैदास की तरह हो मदहोश , सरलता में डूब जाने को दिल करता है।
बुल्ले की तरह हो प्रेम-बांवरा , प्रभु-नशेमन्द हो जाने को दिल करता है।।
दादू की तरह हो दयाल , नजरों की प्यास बुझाने को दिल करता है।
लाल की तरह हो दिवाना , झोली फैला पा जाने को दिल करता है।।
गुलाल की तरह हो पारखी , पहचान जाने को दिल करता है।
पलटू की तरह हो क्रान्ति , आकाश में उड जाने को दिल करता है।।
मलूक की तरह हो मस्त , मस्तीमय हो जाने को दिल करता है।
जगजीवन की तरह हो बच्चा , संतों के पीछे जाने को दिल करता है।।
दूलन की तरह हो दुलारा , स्नेह पा जाने को दिल करता है।
चरणदास की तरह हो निहाल , आंखों से काम पा जाने को दिल करता है।।
मीरा की तरह हो बांवरी , नाचने-गाने को दिल करता है।
दया की तरह हो सेविका , गुरु-चरणों में झुक जाने को दिल करता है।।
सहजो की तरह हो साथिन , सेवा लुटाने को दिल करता है।
यारी की तरह हो पुकारी , सुगंध लुटाने को दिल करता है।।
रमण की तरह हो मृत , परम जीवन पा जाने को दिल करता है।
मेहरबाबा की तरह हो एकांकी , घूरते जाने को दिल करता है।।
नागार्जुन की तरह हो आनन्दी , तूं ही तूं कहे जाने को दिल करता है।
धनीदास की तरह हो खोजी , दर्शन कर जाने को दिल करता है।।
भीखा की तरह हो घुम्मकड , साधु-संगत में जाने को दिल करता है।
दरिया की तरह हो धुनी , प्रभु-रस बरसाने को दिल करता है।।
प्रेम की तरह हो प्यारा , नाम तक भूल जाने को दिल करता है।
गोविन्दशाह की तरह हो साथी , साथ निभा जाने को दिल करता है।।
फरीद की तरह हो प्रेमी , प्रेम में डूब जाने को दिल करता है।
वाजिद की तरह हो सहज , झलक पा जाने को दिल करता है।।
रज्जब की तरह हो गजब , ब्याह ठुकराने को दिल करता है।
जुन्नैद की तरह हो प्रतापी , धन आत्मा का पा जाने को दिल करता है।।
सुंदर की तरह हो प्रतिभा , बचपन में संन्यासी हो जाने को दिल करता है।
कृष्णमूर्ति की तरह हो आत्म-ज्ञानी , अनुभव में जिए जाने को दिल करता है।।
रजनीश की तरह हो ओशो , भगवान-श्री में खो जाने को दिल करता है।
ईसा की तरह हो बे-घरबारा , आनन्द में शूली चढ जाने को दिल करता है।।
मोहम्मद की तरह हो अनपढ , कुरान गा जाने को दिल करता है।
तिलोपा की तरह हो सहज , गुरु-ज्ञान में नहा जाने को दिल करता है।।
लिंची की तरह हो अकेला , प्रसाद पा जाने को दिल करता है।
डायोजनीज की तरह हो उसी-का , परमानन्द में जिए जाने को दिल करता है।।
लाओत्से की तरह हो गुरु , पार किए जाने को दिल करता है।
चवांगत्सु की तरह हो शिष्य , पुल बहाने को दिल करता है।।
ब्लावट्स्की की तरह हो रहस्यी , सप्तद्वार जान जाने को दिल करता है।
मोबिल-कोलिंस की तरह हो राही , साधना-सूत्र पा जाने को दिल करता है।।
गुरजिएफ की तरह हो जागृत , सबको जगाने को दिल करता है।
जरथुस्त्र की तरह हो मसीहा , हंसने-हंसाने को दिल करता है।।
बोकोजू की तरह हो शून्य , उसमें समा जाने को दिल करता है।
अपने की तरह हो एकाग्र , धुन में कर्म किए जाने को दिल करता है।।
मा० राजेश लठवाल चिडाना (नैशनल अवार्डी) 9466435185