दिल और दिमाग की जंग
दिल और दिमाग की मेरे,
जंग हर रोज हुआ करती है….
दिल कहता है
की खुश है तू हर हाल में….
तो दिमाग कहता है
काश खुश रह पाता तो अच्छा होता….
दिल कहता है
काश कह पाते उनसे हर एक बात तो अच्छा होता…
दिमाग कहता है
गर बदलते ना ये हालात तो अच्छा होता…
दिल कहता है
काश इन अश्कों को आंखों में ना छुपाया होता…
दिमाग कहता है
चीख उठते जो मेरे जज़्बात तो अच्छा होता…
दिल कहता है
ये भी ठीक हुआ की अकेले ही रहे हम उम्र सारी…
दिमाग कहता है
गर जो आप दे देते मेरा साथ तो अच्छा होता…
दिल कहता है
कम से कम उनसे बिछड़ने का गिला न रहता…
दिमाग कहता है
जो सह लेते हम ये रंज तो अच्छा होता…
दिल कहता है
ठहरे पानी सी वो खामोश मोहब्बत उसकी…
दिमाग कहता है
गर होती जो चाहत की बरसात तो अच्छा होता…
दिल और दिमाग की मेरे,
जंग हर रोज हुआ करती है….
दिल कहता है
जिंदगी से विदा हुआ वो नादां बस वो खुश रहे…
दिमाग कहता है
गर जो तू भी उसे भुला पाता तो अच्छा होता