दिल ए मंजर
कहते हैं रुक नहीं जाती जिंदगी।
किसी के आने या जाने से ।।
पर दिल है कि बहलता नहीं ।
लाख समझाने से ।।
तुम आ तो गए थे मर्जी से ।
पर जाओगे कैसे इस दिल के कैद खाने से।।
बेशक तोड़ लो यह रिश्ता तुम।
पर छोड़ दोगे कैसे सपनों में आने से ।।
हवा में खुशबू इस कदर समाई है तेरी ।
कि अब डरती हूं सांसों के आने जाने से।।
जख्म दिए जो तूने मुस्कुरा के मुझे ।
टीस हो उठती है उसमें, तेरा जिक्र आने से।।
पता है इस दर्द की कोई दवा नहीं ।
फिर भी एक आस रहती है दवाखाने से।।
तेरी यादों के मंजर से रोज टकराकर लड़खड़ाती हूं ।
और सब समझते हैं कि आ रही हूं मैं मयखाने से।।