Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2024 · 4 min read

*पुस्तक समीक्षा*

पुस्तक समीक्षा
पुस्तक का नाम : नन्हीं परी चिया (बाल कविताओं का संग्रह)
रचयिता : डॉ अर्चना गुप्ता मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 94560 32268
प्रकाशक : साहित्यपीडिया पब्लिशिंग, नोएडा, भारत 201301
प्रथम संस्करण: 2022
मूल्य: ₹99
समीक्षक: रवि प्रकाश बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
➖➖➖➖➖➖➖➖
रामपुर (उत्तर प्रदेश) के प्रसिद्ध उपन्यासकार प्रोफेसर ईश्वर शरण सिंघल ने एक पुस्तक अपने पोते तथा एक पुस्तक अपनी पोती के साथ ज्ञानवर्धक संवाद करते हुए लिखी थी। दोनों पुस्तकें बहुत लोकप्रिय हुईं। अब डॉ अर्चना गुप्ता की लेखनी से उनकी पोती चिया की बाल सुलभ गतिविधियों से प्रेरित बाल कविताओं का संग्रह देखने को मिल रहा है। इस प्रकार से दादी द्वारा पोती की बाल सुलभ गतिविधियों को देखकर और समझ कर जो बाल रचनाएं इस संग्रह में प्रकाशित हुई हैं, वह अत्यंत सजीव बन पड़ी हैं। दादी के रूप में कवयित्री ने न केवल अपनी पोती अपितु सभी बच्चों के मनोविज्ञान को भली प्रकार से समझ लिया है ।
कविताएं कुल इक्यावन हैं। प्रत्येक कविता चार पंक्ति की है। एक पंक्ति का दूसरी पंक्ति के साथ तुकांत कवयित्री ने भली प्रकार मिलाया है। यह सीधी सरल लयबद्ध कविताएं हैं, इसलिए न केवल बच्चों को याद हो सकती हैं बल्कि बच्चों की मासूमियत को भी यह भली प्रकार व्यक्त कर रही हैं।
➖➖➖➖
देशभक्ति
➖➖➖➖
कुछ कविताओं में देशभक्ति है। इस श्रेणी में हम बंदूक शीर्षक से लिखी गई कविता तथा पंद्रह अगस्त शीर्षक की कविता को शामिल कर सकते हैं।
बंदूक कविता इस प्रकार है :-

पापा जब छुट्टी में आना
मुझको भी बंदूक दिलाना
मैं भी सीमा पर जाऊंगा
काम देश के अब आऊंगा

कविता में सरलता है। देश की सीमा पर दुश्मन से लड़ने जाने का वीर-भाव यह कविता जगा रही है।
➖➖➖➖
प्रेरणादायक
➖➖➖➖
कुछ कविताएं बहुत प्रेरणादायक हैं। इनमें सूरज काका शीर्षक से कविता संख्या 11 उद्धृत की जा सकती है:-
सूरज काका जल्दी उठते/ देर नहीं उठने में करते

बातों-बातों में कवयित्री ने बच्चों को सुबह जल्दी उठने की शिक्षा दे डाली । मजे की बात यह है कि बच्चों को पता भी नहीं लगेगा कि उन्हें कवयित्री ने कब उपदेश की दवाई पिला दी है ।
➖➖➖
ज्ञानवर्धक
➖➖➖
कुछ ज्ञानवर्धक कविताएं हैं। इनमें बकरी प्रमुख है। लिखा है :-
दूध न इसका मन को भाता/ पर डेंगू से हमें बचाता

इस तरह कवयित्री ने यह बताना चाहा है कि बकरी का दूध भले ही पीने में अरुचिकर हो, लेकिन डेंगू में बहुत काम आता है।
इसी तरह खरगोश गाजर खूब मजे से खाता है, यह बात कविता संख्या 23 में बताई गई है:-
धमाचौकड़ी खूब मचाते/ बड़े शौक से गाजर खाते

कुछ कविताओं में ज्ञानवर्धन और प्रेरणा दोनों हैं। कविता संख्या 12 पेड़ लगाओ शीर्षक से ऐसी ही कविता है। लिखती हैं:-

पेड़ों से अपना जीवन है/ इन से मिलती ऑक्सीजन है/ कटने मत दो इन्हें बचाओ/ पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ

इसमें सीधे-सीधे उपदेश है। लेकिन क्योंकि पेड़ से जीवन और ऑक्सीजन प्राप्त हो रही है इसलिए बच्चों के मन को प्रभावित करने की क्षमता भी इस कविता में है।
➖➖➖➖
मनोरंजन
➖➖➖➖
कई कविताएं बल्कि ज्यादातर कविताएं मनोरंजक है। इस दृष्टि से कविता संख्या 15 गुब्बारे तथा कविता संख्या 17 दादाजी उल्लेखनीय हैं। बात भी सही है। बच्चे तो उसी बात को पसंद करेंगे जिसमें उनका मनोरंजन होता है। मनोरंजन करते-करते ही हम बच्चों को देशभक्ति तथा ज्ञान की बातें परोस सकते हैं।
➖➖➖➖➖
सामाजिक न्याय
➖➖➖➖➖
सामाजिक न्याय बाल कविताओं में बहुत मुश्किल से देखा जा सकता है। इसका पुट देना भी कठिन होता है । लेकिन कवयित्री को कविता संख्या 31 मुनिया रानी शीर्षक से इसमें भी सफलता मिल गई है। लिखती हैं:-
नन्ही-सी है मुनिया रानी/ गागर भर कर लाती पानी/ घर का सारा काम कराती/ पढ़ने मगर नहीं जा पाती

इस कविता के माध्यम से एक वेदना बच्चों के मन में उत्पन्न करने का प्रयास कवयित्री का रहा है । वह बताना चाहती हैं कि घर का सारा काम करने वाली छोटी सी बच्ची पढ़ाई की सुविधा से वंचित रह गई है। अब इसके बाद का अगला चरण बच्चे स्वयं कहेंगे कि यह तो बुरी बात हुई है ! यही कविता की विशेषता है।
➖➖➖
संस्कार
➖➖➖
एक कविता बच्चों को जरूर पसंद आएगी। यह कविता संख्या 45 नमस्ते शीर्षक से है। लिखा है :-
हाथ जोड़कर हॅंसते-हॅंसते/ करो बड़ों को सदा नमस्ते/ गुड मॉर्निंग गुड नाइट छोड़ो/ संस्कारों से नाता जोड़ो

नमस्ते के दैनिक जीवन में प्रयोग को बढ़ावा देने वाली कविता सचमुच सराहनीय है।
➖➖➖➖➖➖➖
कोरोना और राजा-रानी
➖➖➖➖➖➖➖
कोरोना यद्यपि अब इतिहास का विषय बनता जा रहा है लेकिन अभी इसे आए हुए दिन ही कितने से हुए हैं ! इसलिए यह कविता कोरोना सही बन गई है। (कविता संख्या 50)
इसी तरह राजा रानी भी यद्यपि आजादी के साथ ही अतीत का विषय बन चुके हैं लेकिन अभी भी वह दादा दादी की कहानियों में खूब सुने जा सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए कविता संख्या 39 दादी शीर्षक से कवयित्री ने लिखी है। कुल मिलाकर यह इक्यावन कविताएं बच्चों को मनोरंजन भी कराती हैं, कुछ सिखलाती भी है और उन में देश प्रेम का भाव भी भरती हैं। इन कविताओं को पढ़कर हम सच्चे और अच्छे बच्चों के निर्माण की कल्पना सहज ही कर सकते हैं। कवयित्री का परिश्रम सराहनीय है।

52 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
Phool gufran
वर्षा के दिन आए
वर्षा के दिन आए
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2493.पूर्णिका
2493.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जीवन के अंतिम दिनों में गौतम बुद्ध
जीवन के अंतिम दिनों में गौतम बुद्ध
कवि रमेशराज
मेरे पास, तेरे हर सवाल का जवाब है
मेरे पास, तेरे हर सवाल का जवाब है
Bhupendra Rawat
नायाब तोहफा
नायाब तोहफा
Satish Srijan
सिया राम विरह वेदना
सिया राम विरह वेदना
Er.Navaneet R Shandily
10) पूछा फूल से..
10) पूछा फूल से..
पूनम झा 'प्रथमा'
💐प्रेम कौतुक-501💐💐
💐प्रेम कौतुक-501💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
यूं जो उसको तकते हो।
यूं जो उसको तकते हो।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"अपेक्षा"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा त्रयी. . . . शमा -परवाना
दोहा त्रयी. . . . शमा -परवाना
sushil sarna
उसको ख़ुद से ही ये गिला होगा ।
उसको ख़ुद से ही ये गिला होगा ।
Neelam Sharma
# जय.….जय श्री राम.....
# जय.….जय श्री राम.....
Chinta netam " मन "
लइका ल लगव नही जवान तै खाले मलाई
लइका ल लगव नही जवान तै खाले मलाई
Ranjeet kumar patre
#ॐ_नमः_शिवाय
#ॐ_नमः_शिवाय
*Author प्रणय प्रभात*
तू शौक से कर सितम ,
तू शौक से कर सितम ,
शेखर सिंह
ग़ज़ल/नज़्म - आज़ मेरे हाथों और पैरों में ये कम्पन सा क्यूँ है
ग़ज़ल/नज़्म - आज़ मेरे हाथों और पैरों में ये कम्पन सा क्यूँ है
अनिल कुमार
बोलती आँखे....
बोलती आँखे....
Santosh Soni
डिग्रीया तो बस तालीम के खर्चे की रसीदें है,
डिग्रीया तो बस तालीम के खर्चे की रसीदें है,
Vishal babu (vishu)
मुक्तामणि छंद [सम मात्रिक].
मुक्तामणि छंद [सम मात्रिक].
Subhash Singhai
श्री कृष्ण अवतार
श्री कृष्ण अवतार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
शब्दों में प्रेम को बांधे भी तो कैसे,
शब्दों में प्रेम को बांधे भी तो कैसे,
Manisha Manjari
माता सिद्धि-प्रदायिनी ,लिए सौम्य मुस्कान
माता सिद्धि-प्रदायिनी ,लिए सौम्य मुस्कान
Ravi Prakash
पुरुषो को प्रेम के मायावी जाल में फसाकर , उनकी कमौतेजन्न बढ़
पुरुषो को प्रेम के मायावी जाल में फसाकर , उनकी कमौतेजन्न बढ़
पूर्वार्थ
क्यों मानव मानव को डसता
क्यों मानव मानव को डसता
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
प्यासा के कुंडलियां (झूठा)
प्यासा के कुंडलियां (झूठा)
Vijay kumar Pandey
अर्जुन धुरंधर न सही ...एकलव्य तो बनना सीख लें ..मौन आखिर कब
अर्जुन धुरंधर न सही ...एकलव्य तो बनना सीख लें ..मौन आखिर कब
DrLakshman Jha Parimal
पेशवा बाजीराव बल्लाल भट्ट
पेशवा बाजीराव बल्लाल भट्ट
Ajay Shekhavat
बेरूख़ी के मार से गुलिस्ताँ बंजर होते गए,
बेरूख़ी के मार से गुलिस्ताँ बंजर होते गए,
_सुलेखा.
Loading...