दिल अपना … – डी के निवातिया
दिल अपना …
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न जाने वो हमको किस नजर से तोलते है
न लबो से कभी न आँखों से कुछ बोलते है !
रखना चाहते है हमे सदा अपनी पनाहो में,
मगर राज ये दिल का, कभी न खोलते है !!
लगाते है इल्जाम-ऐ-मुहब्बत हर बार हमीं पे,
दिल है की अपना कभी न वो टटोलते है !!
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डी के निवातिया