“दिलों को जोड़ती हिंदी” (कहानी)
प्रथम नियुक्ति मिले मुझे कुछ दिन हुए ही थे कि अधिकारियों द्वारा कार्य सौंपना प्रारंभ हो गया! चूंकि अंग्रेजी टाइपिंग परीक्षा उत्तीर्ण करने के आधार पर पदस्थ हुई, पर शिक्षा का माध्यम हिंदी होने के कारण मन में झिझक महसूस कर रही थी…… मैं इस कार्यालय में कैसे काम कर पाऊंगी?
एक दिन हुआ यूं! उपायुक्त ने मेरे काम को आंकते हुए मुझे किसी विद्यालय की जमीन स्वीकृति मुद्दे पर जिला-मुख्यालय को हिंदी में पत्र भेजने हेतु आदेशित किया ।
इसके पश्चात कलेक्टर ने तुरंत ही स्वीकृति प्रदान करने हेतु आमंत्रित किया, हिंदी-भाषा ही दिलों को जोड़ने में बनी सहायक।
आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक
भोपाल