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2 May 2024 · 1 min read

दिलकश नज़ारा

नज़ारा लाख दिलकश हो मगर अच्छा नहीं लगता!
रखे जो दूर छाया को शज़र अच्छा नहीं लगता!!

खुशी सारे ज़माने की भले मौजूद हो लेकिन!
भरा ग़म है अगर दिल में बशर अच्छा नहीं लगता!!

रहे अभिमान में अकड़ा हमेशा जो ज़माने में!
सिवा अपने कोई भी नामवर अच्छा नहीं लगता!!
सदा आसान हों राहें नहीं मुमकिन यहाँ हरगिज़!
गिले हों ज़िन्दगानी से सफर अच्छा नहीं लगता!!

ज़माने को अगर देखो मुसाफ़िर की नज़र से तुम!
इरादों के बिना जीवन समर अच्छा नहीं लगता!!

धर्मेंद्र अरोड़ा”मुसाफ़िर”
संपर्क सूत्र:9034376051

Language: Hindi
73 Views

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