Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 1 min read

दिया जा रहा था शराब में थोड़ा जहर मुझे

कितने धोखे दिए हैं, इस शहर ने मुझे,
रात ढलने के बाद गिनाया, सहर ने मुझे।
🌺🌺
मैं समझता रहा, ख़ुद को सयाना ज़रूर,
कई मर्तबा गिराया, मेरी ही नज़र ने मुझे।
🌺🌺
गर्द में, धुंध में,भीड़ में, सही-सही चला,
भटका तब हूँ, जब मिली साफ़ डगर मुझे।
🌺🌺
यों तो उन्हें दिल से ज़रूर भुला डाला मैंने,
फिर भी पल-पल रहती है उनकी ख़बर मुझे।
🌺🌺
साकी ने ही किया मेरे मरज़ का राज़फ़ाश,
दिया जा रहा था शराब में थोड़ा जहर मुझे।

68 Views
Books from Shreedhar
View all

You may also like these posts

ये इश्क़ है हमनफ़स!
ये इश्क़ है हमनफ़स!
Shreedhar
पूर्ण शरद का चंद्रमा,  देख रहे सब लोग
पूर्ण शरद का चंद्रमा, देख रहे सब लोग
Dr Archana Gupta
"कला"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Rekha Drolia
तारीफ तेरी, और क्या करें हम
तारीफ तेरी, और क्या करें हम
gurudeenverma198
बार बार अपमान
बार बार अपमान
RAMESH SHARMA
It’s all be worthless if you lose your people on the way..
It’s all be worthless if you lose your people on the way..
पूर्वार्थ
..
..
*प्रणय*
मैं पापा की परछाई हूं
मैं पापा की परछाई हूं
ज्योति
There is no fun without you
There is no fun without you
VINOD CHAUHAN
सियासत का खेल
सियासत का खेल
Shekhar Chandra Mitra
Narcissism
Narcissism
Shyam Sundar Subramanian
कोरोना
कोरोना
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
बन बादल न कोई भरा
बन बादल न कोई भरा
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
पिता का साया
पिता का साया
Neeraj Agarwal
🌹थम जा जिन्दगी🌹
🌹थम जा जिन्दगी🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
छंद का आनंद घनाक्षरी छंद
छंद का आनंद घनाक्षरी छंद
guru saxena
लग रहा है बिछा है सूरज... यूँ
लग रहा है बिछा है सूरज... यूँ
Shweta Soni
पंचतत्व का परमतत्व में विलय हुआ,
पंचतत्व का परमतत्व में विलय हुआ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
बदलाव
बदलाव
Dr. Rajeev Jain
' क्या गीत पुराने गा सकती हूँ?'
' क्या गीत पुराने गा सकती हूँ?'
सुरेखा कादियान 'सृजना'
प्याला।
प्याला।
Kumar Kalhans
वरना बे'आब
वरना बे'आब
Dr fauzia Naseem shad
*चेहरे की मुस्कान*
*चेहरे की मुस्कान*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ज़िंदगी को
ज़िंदगी को
Sangeeta Beniwal
दोहा सप्तक. . . . जिन्दगी
दोहा सप्तक. . . . जिन्दगी
sushil sarna
भले लोगों के साथ ही बुरा क्यों (लघुकथा)
भले लोगों के साथ ही बुरा क्यों (लघुकथा)
Indu Singh
खामोशी इबादत है ,सब्र है, आस है ,
खामोशी इबादत है ,सब्र है, आस है ,
Neelofar Khan
अजन्मी बेटी का प्रश्न!
अजन्मी बेटी का प्रश्न!
Anamika Singh
Loading...