दिया जलता रहा
दिया जलता रहा
सचमुच दिया जलता रहा
घनघोर स्याह रात थी
हॉ अमावस की रात थी
वो दिया जलता रहा
शायद उम्मीदो का दिया था
फक्र से जलता रहा
कही किसी मासूम गरीब की दिवाली
अंधेरे मे न बीत जाए
..वो दिया जलता रहा
कहीं कोई बेबस भूखा न से जाए
वो दिया जलता रहा ..
किसी की की ऑखे दर्द मे भीगी न रह जाए
वो दिया जलता रहा
सच ! उम्मीदो का दिया जलता रहा
निरन्तर जलता रहा
अथक जलता रहा
शुभ दीपावली