दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ), 24 मात्रा
प्रति पद का सम मात्रिक छंद है।
यह 12 और 12 मात्रा के दो यति खंड में
विभक्त रहता है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
गागाल गालगागा गागाल गालगागा
देखो जरा उन्हें भी, कैसे करें किनारा |
पाते नहीं किसी से, कोई कभी सहारा |
देखा करे जमाना , बोले नहीं वहाँ भी –
उम्दा जहाँ हमारा, भी था कभी नजारा |
सुभाष सिंघई
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दिगपाल छंद में अंतिम गा हटा देने पर
दिग्वधू छंद बन जाता है
दिग्वधू 22 मात्रा , मापनी युक्त मात्रिक
गागाल गालगागा गागाल गालगा
आना यहाँ हुआ है चहका मिजाज है |
दुनिया कहे तुम्हारा महका मिजाज है |
शोला दिखें सभी ही नखरे गुलाब से –
लगते सभी सुहाने दहका मिजाज है |
सुभाष सिंघई
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