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10 Jun 2023 · 1 min read

दिखावे के रिश्ते

पैसों का कैसा अलग ही खेल है
वृद्ध माँ-बाप का फिर से मेल है
नकली रिश्तों को अब जान लो
यही कलियुग की बडी सी जेल है
प्रेम से भरा सब का जीवन हो
हरा भरा रिश्तों का उपवन हो
असली धन है मानव की सेवा
हर प्राणी का दोष मुक्‍त मन हो
________अभिषेक शर्मा

Language: Hindi
84 Views
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