“दास्तान”
“दास्तान”
जब – जब दर्द के तराने लिखे,
वो अश्कों की लकीर बन गये।
जब उल्फत के अफसाने लिखे,
पावन प्रीत की जागीर बन गये।
“दास्तान”
जब – जब दर्द के तराने लिखे,
वो अश्कों की लकीर बन गये।
जब उल्फत के अफसाने लिखे,
पावन प्रीत की जागीर बन गये।