दास्तान- ए – मोहब्ब्त
क्या लिखूं मै
दास्तां – ए – मोहब्बत
एक अधूरा ख़्वाब सा है
सावन की पहली बारिश
और हरियाली सैलाब सा है
ढूंढ कर यादों के पन्नों को
ज़ख़्म का जाम पिया
तोड़कर ईश्क के अरमान सारे
आंशुओ को मेरे नाम किया
क्या लिखूं मै
दास्तां – ए – मोहब्बत
एक अधूरा ख़्वाब सा है
सावन की पहली बारिश
और हरियाली सैलाब सा है
ढूंढ कर यादों के पन्नों को
ज़ख़्म का जाम पिया
तोड़कर ईश्क के अरमान सारे
आंशुओ को मेरे नाम किया