दाम्पत्य प्रेम
************ कुंडलिया *************
*************दाम्पत्य प्रेम***********
1
जीवन पथ पर है मिले, तरह तरह के फूल।
प्रेम तकरार में कटे, स्नेह तो कभी शूल।।
स्नेह तो कभी शूल, हसीं होती दिन रातें।
बनकर रहती याद, स्वर्णिम सब मुलाकातें।।
जन्म जन्म मिले हम,हो जाए सफर हसीन।
रहे सदा खुशहाल,सुखद दाम्पत्य जीवन।।
2
फूल सा महकता रहे, जीवन का दरबार।
हम तुम जो हैं मिले,,कोटि कोटि आभार।।
कोटि कोटि आभार, ईश्वर का शुकराना।
साजन को गया मिल,सुंदर प्रिय नजराना।।
युगांतर रहे अमर ,लगे ना तनिक भी धूल।
मिले दंपती प्रेम, आंगन में खिलता फूल।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)