दामोदर लीला
सत चित आनंद नन्द किशोर,
नमन है तुमको माखन चोर l
गोकुल के वासी नन्द किशोर ,
भागे देखो मटकी फोड़ ll
चराचर ब्रह्माण्ड के हैं जो स्वामी,
वो कैसे डर के भाग रहेl
दण्ड देखकर काँप रहे,
सिसक सिसक कर रो भी रहेll
श्यामल श्यामल जिसका मुख मण्डल,
और गालों पर भिखरे घुंघराले बाल l
चुम्बन देती माँ यशोदा ,
और होंठो का रंग बिम्ब सा लाल ll
अदभुत लीला देख देख कर,
भाव विभोर है गोकुल ग्राम l
देखो कैसे बंधे हुए हैं ,
माँ के वात्सल्य प्रेम से माधव श्यामll
कुबेरात्मजों को दिया तुमने तार ,
दिया मोक्ष उनको देकर भक्ति का वर l
मेरी भी इच्छा को स्वीकार कर,
कृपा दृष्टि कर देदे भक्ति का वर ll
भव सागर के दुख में हूँ डूबा हुआ ,
इस भौतिक जगत में हूँ उलझा हुआ l
कृपादृष्टि अब तो मुझ पर दिखा,
प्रसीद प्रसीद हे मनमोहना ll
ना मोक्ष की चाह ,ना वैकुण्ठ की चाह ,
ना और किसी ऐश्वर्य की चाह l
तेरी ये बाल छवि मन में बस जाय ,
बस यही कामना मेरी नाथ ll
हे ब्रह्मा के नाथ तुमको प्रणाम ,
उदर में बंधी रस्सी को प्रणाम l
हरी की प्रिया राधा को प्रणाम ,
हे लीलाधारी नाथ तुमको प्रणाम ll