*दादा जी डगमग चलते हैं (बाल कविता)*
दादा जी डगमग चलते हैं (बाल कविता)
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दादा जी डगमग चलते हैं
तन में रोग बहुत पलते हैं
टोपा हरदम ओढ़े रहते
किस्से बीते युग के कहते
सर्दी उनको बहुत सताती
अंगीठी बस ठंड भगाती
कविता अच्छे सुर में गाते
रोज कहानी एक सुनाते
हमको दादा जी हैं प्यारे
दादा जी को बच्चे सारे
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451