दाग़
दाग़ जो अब तक अयाँ हैं वो बता कैसे मिटें
फास्ले जो दरमियाँ हैं वो बता कैसे मिटें
एक मुद्दत से दिलों में दर्द की हैं बस्तियाँ
दर्द की जो बस्तियाँ हैं वो बता कैसे मिटें
रात भर सोया नहीं मैं बस इसी इक फ़िक्र में
अनसुनी कुछ सिसकियाँ हैं वो बता कैसे मिटें
किस तरह रिश्तों में आई तल्खियाँ ये फिर कभी
बेसबब जो तल्खियाँ हैं वो बता कैसे मिटें
शम्अ इक जलती रही है देर तक इस सोच में
कुछ अँधेरे बेज़ुबाँ हैं वो बता कैसे मिटें
जो पुराने थे गुनह वो धो दिये तूने मगर
ख़ून के ताज़ा निशाँ हैं वो बता कैसे मिटें
मै ग़मों के बादलों की बात अब करता नहीं
ख़ौफ़ के जो आस्माँ हैं वो बता कैसे मिटें
….. शिवकुमार बिलगरामी